Thursday, October 28, 2010

निगम महापौर की कार्यशैली से नाराज बने हुए पत्रकारों ने किया विरोध प्रदर्शन

लघु व मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों की उपेक्षा निन्दनीय और अलोकतांत्रिक कार्य: जीनगर गहलोत


कोटा। राष्ट्रीय मेला दशहरा के कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए गत दिनों 13 अक्टूबर बुधवार को निगम की ओर से स्थानीय चम्बल गॉर्डन स्थित दशहरा मेला समिति कार्यालय पर आयोजित हुई पत्रकार वार्ता में निगम द्वारा लघु व मध्यम श्रेणी के कहे जाने वाले समाचार पत्रों की उपेक्षा होने पर पत्रकारों ने नाराजगी जाहिर कर विरोध प्रदर्शन किया और महापौर डॉ. रत्ना जैन सहित निगम अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की।  हाड़ौती पत्रकार संघ के अध्यक्ष पंडित बद्रीप्रसाद गौतम और महामंत्री अनिल तिवारी के नेतृत्व में आयोजित हुए इस विरोध प्रदर्शन को उचित ठहराते हुए इनके समर्थन मंे पत्रकार वार्ता में शामिल हुए प्रेस क्लब कोटा के सचिव हरिमोहन शर्मा सहित वरिष्ठ पत्रकार सदस्य कय्यूम अली, मनोहर पारीक, हरिवल्लभ मेघवाल, जितेन्द्र शर्मा, दिलीप सिंह शेखावत आदि ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस व निगम द्वारा आयोजित भोज का बहिष्कार किया और विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
हाड़ौती पत्रकार संघ के प्रवक्ता असलम रोमी ने अनुसार निगम की इस पक्षपातपूर्ण कार्यशैली को लेकर कुछ समय पहले ही महापौर, उपमहापौर, मेला समिति अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी आदि को संघ की ओर से ज्ञापन पत्र भी दिया जा चुका है। लेकिन निगम अधिकारियों की मनमानी और महापौर की गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली के कारण से पत्रकारों को मजबूर होकर यह विरोध प्रदर्शन करना पड़ा। संघ के अध्यक्ष बद्रीप्रसाद गौतम और सचिव अनिल तिवारी ने कहा कि जहां एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन लघु व मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों के हितों के लिए प्रयासरत बने हुए हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम कोटा की कांग्रेस की ही महापौर डॉ. रत्ना जैन द्वारा समझ कर भी नासमझ बन जानबूझकर लघु व मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों की उपेक्षा की जा रही है। इसलिए यदि इस कांग्रेसी महापौर को कांग्रेस की जन कल्याणकारी नीतियों का विरोधी भी कहा जाये तो शायद गलत नहीं होगा।
इस विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से बद्रीप्रसाद गौतम, अनिल तिवारी, अब्दुल अलीम, भगवानदास महावर, हलीम रेहान, लक्ष्मीकांत शर्मा, सलीमुद्दीन काजी, अनिल देवलिया, मुरलीधर शर्मा, मुकुटलाल पंवार, रूपचंद जैन, मुनीफुर्रहमान, जीएस भारती, मोहनलाल बड़ौदिया, देवकीनंदन योगी, दीपक परिहार, भारत सिंह चौहान, रमेश गौड़, धर्मेन्द्र पूनिया आदि शामिल हुए। पाक्षिक समाचार सफ़र के प्रकाशक व संपादक जीनगर दुर्गाशंकर गहलोत ने नगर निगम की इस पक्षपातपूर्ण कार्यशैली की निंदा करते हुए इसे आलोकतांत्रिक कार्य बताया और कहा कि यदि कांग्रेसी महापौर चिकित्सक रत्ना जैन को लघु व मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों से इस कदर नफरत है और उनकी निगाह ये छोटे समाचार पत्र ‘अछूत समान’ हैं तो वह खुले रूप से अपनी बात को स्पष्ट करें। अन्यथा यह शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन संभवतः उनके शेष बचे हुए कार्यकाल के लिए ‘आत्मघाती’ साबित हो सकता है। ‘पद के दंभ’ से सत्ताएं नहीं चला करती है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शब्दों में ‘हर गलती कीमत मांगती है’।    
जीनगर गहलोत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस मामले में हस्तक्षेप कर लघु व मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों को हरसंभव सहयोग किये जाने की मांग करते हुए जिला प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों से भी आग्रह किया है कि वह शासकीय व प्रशासकीय स्तर की होने वाली हर पत्रकार वार्ता में लघु व मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों की उपेक्षा ना होने दें और इसके लिए सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक आदेश/निर्देश जारी करें ताकि हर कॉन्फ्रेन्स में उनको भी आवश्यक रूप से आमंत्रित किया जाना शुरू हो सकें। वहीं, इस ओर राज्य सरकार के पीआरओ कार्यालय एवं केन्द्र सरकार के पीआईबी कार्यालय के प्रभारी अधिकारी भी ध्यान दें। जीनगर गहलोत ने उक्त प्रदर्शन के दौरान प्रेस क्लब कोटा के अध्यक्ष धीरज गुप्ता के निगम की आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में मौजूद होने के बावजूद भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन नहीं करने को चिन्तनीय व विचारणीय बताया और कहा कि जिस संस्था का प्रमुख यदि अपने सदस्यों की वाजिब मांगों के समर्थन पर मौन रहता है तो उस प्रमुख को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं होता है।
प्रेस क्लब, पत्रकारों का एक सम्मानीय संगठन है, सरकारी संस्था नहीं कि इसके पदाधिकारी अपने निज हित की खातिर संगठन के सम्मान को ही गिरवी रख दें। जनधन पर ‘दानवीर’ बने हुए इन ‘लुटेरे दानदाताओं’ द्वारा ‘दान’ समान दिये जाने वाला ‘भोज’ तो वर्ष भर में अधिकतम 65 दिन ही संभव हो सकेगा, बाकी के 300 दिन तो अपने घर पर ही ‘दाना-पानी’ चुगना होता है - प्रेस क्लब के पदाधिकारी और पत्रकारजन इस सत्य को सदैव ध्यान रखें और अपने सम्मान व पत्रकारिता दायित्व को कभी नहीं भूले, यदि वह अपने आपको ‘पत्रकार’ मानते हैं तो।         

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