Thursday, October 28, 2010

सदा मुस्कराते विचारक व चिंतक शिवरामजी को - श्रद्धांजलि-श्रद्धांजलि-श्रद्धांजलि


५ और २० अक्टूबर के अंक में प्रकाशित
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‘विकल्प’ जनसांस्कृतिक मंच कोटा की श्रद्धांजलि

कोटा। मशहूर नाट्यकर्मी, साहित्यकार एवं मार्क्सवादी चिंतक शिवराम का आज 2 अक्टूबर को किशोरपुरा मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ। उनकी ‘अंतिम यात्रा’ को उनके तलवंडी स्थित निवास से प्रातः 8.30 बजे आरम्भ कर छावनी स्थित पार्टी कार्यालय पर सम्मान व्यक्त करने के लिए लाया गया। कार्यालय के बाहर भारी संख्या में कार्यकर्ताओं ने क्रांतिकारी नारे लगाकर शिवराम को क्रांतिकारी सलामी दी। लाल झंड़ों के साथ नारे लगाते हुए उनकी यह ‘अंतिम यात्रा’ किशोरपुरा मुक्तिधाम पहुंची। ‘विकल्प’ जन सांस्कृतिक मंच के सचिव शकूर अनवर ने बताया कि शिवराम की अंतिम यात्रा में नगर के अनेक सामाजिक, साहित्यिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा रंगकर्मी, पार्टी कार्यकर्ता, पत्रकार और गणमान्य नागरिकों ने शामिल होकर अपनी भावनात्मक उपस्थिति दर्ज कराई। 
अंतिम यात्रा में प्रमुख रूप से महेन्द्र नेह, अखिलेश अंजुम, अम्बिका दत्त, विनोद पदरज, चांद शेरी, ओम नागर ‘अश्क’, इन्द्रबिहारी सक्सेना, डॉ. नरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, अरविन्द सोरल, बृजेन्द्र कौशिक, रमेश मीणा, डॉ. फारूक बख्शी, प्रो. हितेश व्यास, डॉ. नलिन, अरूण सेदवाल, अतुल चतुर्वेदी, शरद उपाध्याय, मास्टर राधाड्डष्ण, शिवराज श्रीवास्तव, वेदप्रकाश प्रकाश, बद्रे आलम बद्र, विजय जोशी, आनंद संगीत, नागेन्द्र कुमावत, रघुनाथ मिश्र, अतुल कनक, श्रीनन्दन चतुर्वेदी, किशनलाल वर्मा, कुंवर जावेद, हेमन्त गुप्ता आदि कवि-शायरों और विधायक ओम बिड़ला, श्याम शर्मा, आर.के. स्वामी, पदम पाटौदी, जीनगर दुर्गाशंकर गहलोत, अब्दुल अलीम, अहमद अली खान, महेन्द्र पाण्डेय, दिनेश द्विवेदी, कन्हैयालाल जैन, महावीर सिंह, डॉ. रामकृष्ण आर्य, डॉ. जगतार सिंह, बी.एम. शर्मा, टी.जी. विजयकुमार, परमानंद कौशिक, सत्यनारायण जीनगर, अरूण भार्गव, अरविन्द भारद्वाज आदि राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों ने अपनी आत्मिक उपस्थिति दी। इस अंतिम विदाई में हैदराबाद से पार्टी के श्री एम. वैंकट रेड्डी और प्रदेश के अन्य शहरों से भी काफी संख्या में पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल हुए।  अगले दिन 3 अक्टूबर शनिवार की शाम को 4 बजे दिवंगत शिवरामजी के निवास स्थान (4-पी-46, तलवंडी, कोटा) पर तीये की बैठक और 4 अक्टूबर सोमवार को शाम 5 बजे ट्रेड यूनियन कार्यालय छावनी रोड़ पर सर्वदलीय व साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा शोकसभा आयोजित हुई।

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साहित्य  व  नाट्यकर्मी  शिवराम  को शारदा  साहित्य  मंच  की  श्रद्धांजलि

रावतभाटा (श्याम पोकरा)। हाड़ौती अंचल के वरिष्ठ नाट्यकार एवं साहित्यकार स्व. शिवराम जी की स्मृति में शारदा साहित्य मंच रावतभाटा द्वारा 10 अक्टूबर रविवार को श्रद्धांजलि बैठक का आयोजन किया गया। माँ शारदा की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन के बाद नाथन पंडित ने सरस्वती वंदना की। तत्पश्चात् कथाकार श्याम पोकरा ने स्व. शिवराम जी के जीवन परिचय और उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर पीड़ितजन के लिए उनका हृदय धड़कता था, उनकी रचनाओं में भी कमजोर जनों की पीड़ाओं की कराहट सुनाई देती है। उन्होंने कहा कि शिवरामजी की सर्वाधिक पहचान एक श्रमिक नेता के रूप में रही है जबकि वह एक कुशल नाटककर्मी व लेखनकर्मी भी रहे हैं। नाटक, कविता व विचारों पर उनकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। 23 दिसम्बर 1949 को करौली नगरी के एक साधारण स्वर्णकार परिवार में जन्में शिवरामजी का 1 अक्टूबर 2010 को आकस्मिक निधन हो गया। उनके निधन से श्रमिक व साहित्य क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। 
साहित्यकार भागीरथ परिहार ने कहा कि शिवराम एक समर्थ व जुझारू नाटककार थे जिनका हृदय सदैव ऊर्जा से भरा रहता था। कोटा संभाग में शिवरामजी को नुक्कड़ नाटक का जनक कहा जाता है। ओ.पी. आर्य ने शिवरामजी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्यकार कभी मरता नहीं है वह अपनी रचनाओं के साथ सदा हमारे बीच में मौजूद रहता है। दिनेश छाजेड़ ने शिवरामजी को आमजन का नाटककार बताया और कहा कि उनका नाम उनकी रचनाओं के साथ सदा अमर रहेगा। इसके बाद उपस्थित रचनाकारों ने शिवरामजी को समर्पित करते हुए रचनाऐं प्रस्तुत की। श्याम पोकरा ने शिवरामजी के प्रसिद्ध नाटक ‘हम लड़कियां’ का शीर्षक गीत प्रस्तुत किया। अंत में दो मिनिट का मौन रख सहनशील व जुझारू व्यक्तित्व के धनी स्व. शिवरामजी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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क्रांतिकारी नारों और अश्रुपूरित नेत्रों से साथी शिवराम को अंतिम विदाई

कोटा। भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड) की सर्वोच्च कमेटी ‘पोलिट ब्यूरे’ के सदस्य, सुप्रसिद्ध साहित्यकार व रंगकर्मी साथी शिवराम को अंतिम विदाई देने के लिए उनकी अंतिम यात्रा में नगर के श्रमिक, कर्मचारी, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, पत्रकार एवं गणमान्य नागरिक उमड़ पड़े। साथी शिवराम की अंतिम यात्रा में हैदराबाद से पार्टी की पोलिट ब्यूरो के सदस्य कॉमरेड एम.बी. रेड्डी सहित प्रदेश के प्रमुख पार्टी पदाधिकारी कॉ. गोपीकिशन, कॉ. रामपाल सैनी, वीरेन्द्र चौधरी, लीलादेवी, रामचन्द्रजी, ब्रजकिशोर, गंगासिंह मेड़तिया, दिलीप जोशी, अवधेश सिंह, रमेश चतुर्वेदी, भैरूलाल, घासीलाल, रमेश शर्मा आदि शामिल हुए। 
दिवंगत साथी शिवराम की अंतिम यात्रा 2 अक्टूबर शनिवार को प्रातः 8.30 बजे उनके तलवंडी निवास से आरम्भ होकर छावनी रोड़ स्थित पार्टी कार्यालय पर पहुंची। जहां पर उपस्थित सैकड़ों कार्यकर्ताओं, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों व रचनाकारों ने उनको क्रांतिकारी नारों एवं अश्रुपूरित नेत्रों से अपना सम्मान व्यक्त किया। कॉ. एम.बी. रेड्डी ने कहा कि वे केवल राजनीतिक कार्यकर्ता मात्र नहीं थे बल्कि पार्टी के प्रेरणा दायक सिद्धांतकार थे। देश भर में पार्टी-कार्यालयों में उनके सम्मान में झंडे झुका दिये गये हैं और शोक सभाएंे हो रही हैं। श्रमिक, कर्मचारी व बौद्धिक समुदाय उनके निधन के समाचार से स्तब्ध रह गये हैं। 
छावनी रोड़ स्थित पार्टी कार्यालय परमेन्द्रनाथ ढन्डा भवन से दिवंगत साथी शिवराम को 21 झण्ड़ों की सलामी देते हुए कॉ. विजय शंकर झा, कॉ. महेन्द्र पाण्डेय व कॉ. गोपीकिशन ने लाल झंडा ओढ़ाकर पार्टी की ओर से सम्मान प्रकट किया। रास्ते भर ‘विचार के योद्धा अमर रहे’, ‘साहित्य के योद्धा अमर रहे’, ‘क़लम के योद्धा अमर रहे’ के नारों के साथ करीब 10 बजे किशोरपुरा मुक्तिधाम ले जाया गया। जहां बिना किसी धार्मिक रीति-रिवाज के उनका अंतिम संस्कार सम्पन्न किया गया। उनके पुत्रों रवि, शशि व पवन ने उपस्थित जन समुदाय के बीच अपने पिता की देह को अग्नि के समर्पित किया।

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स्मरणांजलि: शिवराम ने लुप्त होती जननाट्य शैली को पुनरार्वेष्टित किया

उदयपुर (डॉ. मलय पानेरी)। प्रसिद्ध जन नाट्यकार शिवराम के निधन पर एक स्मरणांजलि सभा में विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि शिवराम सचमुच क्रांतिधर्मी नाटककार थे। उनके नाटक लोकप्रियता की कसौटी पर भी खरे उतरे और श्रेष्ठता के सभी मापदंड भी पूरे करते हैं। वरिष्ठ कवि व चिन्तक नन्द चतुर्वेदी ने शिवराम के साथ विभिन्न अवसरों पर अपनी मुलाकातों को याद करते हुए कहा कि शिवराम ने नाटकों के नये स्वरूप को विकसित किया। उनका सदैव यह प्रयास रहा कि नाटक दर्शकों के साथ-साथ आम प्रेक्षक वर्ग तक भी पहुंचे। इस दृष्टि से उनके नाटक पूर्ण सफल रहे हैं। शिवराम ने लुप्त होती जननाट्य शैली को पुनः विकसित किया था। उनका मुख्य उद्देश्य नाटकों को जनप्रिय बनाये रखने का था। इसीलिए उनके नाटक विभिन्न आस्वादों से युक्त रहते थे। नन्द चतुर्वेदी ने उनके नाटक ‘जनता पागल हो गई है’, ‘पुनर्नव’, ‘गटक चूरमा’ आदि नाटकों का जिक्र करते हुए कहा कि ये नाटक बहुत लोकप्रिय रहे। उन्होंने शिवराम के कवि कर्म को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी कवितायें एक विनम्र और शालीन कवि का आभास देने के साथ व्यवस्था में बदलाव की बेचैनी भी दर्शाती है। प्रसिद्ध आलोचक प्रो. नवलकिशोर ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिवराम सच्चे मायने में एक सफल नाटककार होने के साथ-साथ अच्छे रंगकर्मी भी थे। रंगकर्म के साथ-साथ उनका नाट्य सृजन अनवरत चलता रहा और उनके नाटक उत्तरोत्तर नवप्रयोग को सार्थक करते रहे। उन्होंने कहा कि शिवराम ने इस प्रदर्शनकारी विधा का जनता के पक्ष में सदुपयोग किया। उन्होंने नाट्य साहित्य को जनसामान्य तक पहुंचाने का श्रेयस्कर कार्य किया। श्रमजीवी महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मलय पानेरी ने शिवराम के विभिन्न नाटकों की चर्चा करते हुए कहा कि शिवराम के नाटक नाट्य रूढ़ियों को तोड़ने वाले थे। उनके नाटकों का मूल उद्देश्य जन-पहुंच था। इस दृष्टि से उन्होंने नाटकों के साथ कोई समझौता नहीं किया तात्विक दृष्टि से कोई कमजोरी ही क्यों न रह गई हो। शिवराम के नाटक आम प्रेक्षक के नाटक सिर्फ इसलिए बन सके कि उनमें सार्थक रंगकर्म हमेशा उपस्थित रहा है। हिन्दू कॉलेज नई दिल्ली के हिन्दी सहायक आचार्य डॉ. पल्लव ने शिवराम के कृतित्व को वर्तमान संदर्भो में जोखिम भरा बताया। उन्होंने कहा कि शिवराम ने लेखकीय ग्लैमर की परवाह किये बिना साहित्य और विचारधारा के संबंधों को फिर बहस के केन्द्र में ला दिया है। 
जन संस्कृति मंच के राज्य संयोजक हिमांशु पंड्या ने शिवराम की संगठन क्षमता को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि ‘विकल्प’ के मार्फत वे नयी सांस्कृतिक हलचल में सफल रहे। लोक कलाविद डॉ. महेन्द्र भानावत ने कहा कि नाटकों को लोक से जोड़े रखना वाकई मुश्किल है और शिवराम ने अपने नाटकों के साथ हमेशा लोक-चिंता को सर्वोपरि रखा। उनकी यही खासियत उन्हें अन्य रचनाकारों से पृथक पहचान देती है। श्रमजीवी महाविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक डॉ. ममता पानेरी ने कहा कि शिवराम नाटककार के साथ-साथ अच्छे रंगकर्मी भी थे। रंगकर्म की उनकी समझ आज के संदर्भ में ज्यादा संगत लगती है। कार्यक्रम के अंत में राजेश शर्मा ने कहा कि शिवराम जननाटकों के भविष्य थे और सार्थक रंगकर्मी के साथ ही अच्छा नाटककार होना शिवराम ने ही प्रमाणित किया है।

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श्रमिक नेता शिवराम को श्रमजीवी विचार मंच की श्रद्धांजलि

कोटा। श्रमजीवी विचार मंच कोटा की ओर से छावनी स्थित ट्रेड यूनियन कार्यालय में साम्यवादी विचारक, लेखक व श्रमिक नेता कॉमरेड शिवराम स्वर्णकार के असामयिक निधन पर 2 अक्टूबर शनिवार को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सभा का आरम्भ करते हुए सचिव टी.जी. विजयकुमार ने साथी शिवराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन सर्वहारा वर्ग को समर्पित रहा है और उनके लेखन, चिंतन व विचारधारा में श्रमजीवी, पीड़ित व शोषित वर्ग सदा ही केन्द्र में रहा है। उनके असामयिक निधन से हुई अपूरणीय क्षति की पूर्ति करना संभव नहीं है। साथी शब्बीर अहमद ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें श्रमिक वर्ग का मसीहा बताया। साथी महेन्द्र नेह ने उन्हें साहित्य लेखन का पुरोधा बताते हुए उनके नाटक ‘जनता पागल हो गई’ व ‘घुसपैठिये’ का जिक्र किया और बताया कि उनका लेखन सर्वहारा वर्ग व आमजन की समस्याओं पर केन्द्रित रहा है। साथी महेन्द्र पाण्डेय ने उनके निधन को श्रमिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। साथी बी.एम. शर्मा ने श्रमिक आंदोलन में उनके सहयोग को याद करते हुए सराहा और कहा कि वह अंतिम समय तक इसी वर्ग हेतु सोचते रहे व संघर्ष की राह पर ही चलते हुए उन्होंने अपना बलिदान कर दिया। श्रद्धांजलि सभा में तारकेश्वर तिवारी, परमानन्द कौशिक, विजय जोशी ने भी अपने विचार रखते हुए उनको व उनके योगदान का स्मरण किया। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता साथी नारायण शर्मा ने की और सभा के अंत में दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।


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